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*Love is very happy by giving all*
प्रेम और त्याग,
दोनों अलग-अलग नहीं हैं।
जिसने त्याग जाना, उसने प्रेम जाना।
बिना प्रेम के त्याग और
बिना त्याग के प्रेम नहीं जाना जा सकता।
जब भी आप प्रेम में होंगे,
आपके भीतर देने का भाव उठेगा।
प्रेम है ही क्या, देने की एक परम आकांक्षा।
प्रेम बड़ा प्रसन्न होता है दे कर।
मुक्त आकाश--बांटता रहता है।
और जो धन-पद इकट्ठा कर पाते हैं
उनसे जीवन में प्रेम दिखाई नहीं देगा।
प्रेम का स्वर ही नहीं मिलेगा।
जहां इकट्ठा करने की इतनी दौड़ है
वहां बांटेगा कौन !
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Compilation By R.A.7060224130
*New Generation Palmistry Jyotish Vastu , Gems & Counseling Centre*
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